अगर चाय ना होता तो क्या होता?

अगर चाय ना होता तो क्या होता?
ये भी नही बोल सकता मैं,
के वही होता जो मंज़ूर ए खुदा होता।
क्यूंकि चाय ना होने का इल्जाम
भी अगर खुदा के ऊपर ही डाल दूं,
तो बात कुछ ऐसी हो जाती के
आफिस के वक़्त डेस्क पर अपने
मैं भरी दोपहरी सो रहा होता।
अगर चाय ना होता तो क्या होता?

चाय बिना ज़िन्दगी अधूरी होती।
आधी दुनिया बेवक़्त हर जगह सो रही होती।
फिर सैलरी से सोने के नाम जो
फाइन काटा होता कंपनी ने,
उस बात को लेकर किसी कोने
में जाकर ये जनता रो रही होती।
और आधी आबादी इस दुनिया की,
सरदर्द के burden को अपने
unused भेजे में रख,
उसे हर जगह ढो रही होती।
बिना चाय के ये ज़िन्दगी
अपना मिठास खो रही होती।

अगर चाय ना होता, तो क्या होता?
Actually ना, fuck it.
मैं क्युं ना उसपर Topic divert करुं?
सब तो उसी के नाम पर बकवास करते है।

अगर चाय ना होता तो क्या होता?
अगर चाय ना होता तो क्या होता?
अरे भैया वही होता,
जो मंज़ूर ए खुदा होता।

– अभिषेक गुप्ता।

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