खुशी।

बस एक छलावा है खुशी।
आज है ये और कल नहीं।
गम ही रहा है एक सच्चा हमसफ़र।
क्युकी एक जगह कभी ना ठहर पाती ये खुशी।
-अभिषेक गुप्ता।

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