Alfaaz

मैं रहूँ या ना रहूँ, मेरे ये अल्फ़ाज़ हमेशा रहेंगे।
और जबतक ये रहेंगे, ये अल्फ़ाज़ तुमसे कहेंगे,
के मुस्कुरा कर ही जिया है इस ज़िंदगी को हुमेशा हमने,
और मुस्कुरा कर ही इस दास्ताँ-ए-ग़म को भी हम सहेंगे।

-Abhishek Gupta

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